फलित ज्योतिष
नमस्कार दोस्तो आज हम नक्षत्र के बारे में कुछ जानकारी आपके सम्मुख रखेगे।
आकाश में उपस्थित तारिकाओं के समूहों द्वारा विभिन्न प्रकार
की आकृति बनती है। उन्हें नक्षत्र की संज्ञा प्रदान की गईं है।
ज्योतिष विज्ञान में नक्षत्रों की संख्या 27 होती है। आइए हम उनके नाम जानते है।
27 नक्षत्रों का नामकरण इस प्रकार किया गया है -
अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मॄगशिरा, आद्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेशा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती।
इनके अलावा एक अन्य नक्षत्र और भी माना जाता है। जिसे हम अभिजित के नाम से जानते है। इसका निर्माण उत्तराषाढा की अंतिम १५ घटी और श्रावण के प्रारंभ की ४ घटी से होता है।
नक्षत्र का नाम : नक्षत्र का देवता : नक्षत्र के चरण
अश्वनी : अश्वनी कुमार : चू चे चो ला
भरणीं : काल : ली लू ले लो
कृतिका : अग्नि : अ इ उ ए
रोहिणी : ब्रह्मा : ओ वा वी वू
मृगशिरा : चन्द्र : वे वो का की
आर्द्रा : शिव : कु घ ड० छ
पुनर्वसु : अदिति : के को हा ही
पुष्य : बृहस्पति : हु हे हो डा
आश्लेषा : सर्प : डी डु डे डो
मघा : पितर : मा मी मू मे
पूर्वाफाल्गुनी : भग : मो हा टी टू
उत्तराफाल्गुनी : अर्यमा : हे हो पा पी
हस्त : सूर्य : पु ष ण ठ
चित्रा : त्वष्टा : पे पो रा री
स्वाति : पवन : रू रे रो ता
विशाखा : इन्द्राग्नि : ती तू ते तो
अनुराधा : मित्र : ना नी नु ने
ज्येष्ठा : इंद्र : नो या यी यु
मूल : निरिति : ये यो भा भी
पूर्वाषाढ़ : जल : भू ध फ ढ
उत्तराषाढ : विश्वेदेव : भे भो जा जी
श्रवण : विष्णु : खी खू खे खो
धनिष्ठा : वसु : गा गी गु गे
शतभिषा : वरुण : गो सा सी सू
पूर्वा भाद्रपद : रूद्र : से सो दा दी
उत्तरा भाद्रपद : अहिर्बुध्न्य : दु थ झ ञ
रेवती : पूषा : दे दो चा ची
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