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श्रीमद्भगवद्गीता
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श्रीमद्भगवद्गीता को गीतोपनिषद भी कहा जाता है। ये हमारे संपूर्ण जीवन और वैदिक ज्ञान का सार है। आप सभी जानते है इस महाग्रंथ के वक्ता स्वयं विष्णु अवतार श्री कृष्ण जी है। इस ग्रंथ के सभी पृष्ठ ज्ञान के सार से भरे हुए है। इस महाग्रंथ में भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहते है की मैं तुम्हे इस परम रहस्य को इसीलिए प्रदान कर रहा हु क्योंकि तुम मेरे मित्र और भक्त हो। इससे ये ज्ञात होता है की ये महाग्रंथ विशेष रूप से भगवदभक्त भक्तो के निमित्त है। अध्यात्मवादियो की तीन श्रेणियों है। 1. ज्ञानी 2. योगी 3. भक्त इस महाग्रंथ में भगवान कृष्ण अर्जुन कहते है की वे उनको इस परंपरा का सबसे पहला पात्र बना रहे है। क्योंकि उस समय प्राचीन परंपरा खंडित हो गई थी। वे चाहते थे की द्रोणशिष्य अर्जुन इस महाग्रंथ का प्रमाणिक विद्वान बने। आप सभी जानते भी है इस महाग्रंथ का उपदेश केवल विशेष रूप से अर्जुन के लिए ही दिया गया था। क्योंकि आप सभी जानते भी है अर्जुन कृष्ण भगवान का भक्त, प्रत्यक्ष शिष्य, तथा घनिष्ठ मित्र था। जिस व्यक्ति में अर्जुन जैसे गुण पाए जाते है वो इस महाग्रंथ को सबसे अच्छी तरह समझ सकता है। मेरे इस ...
घर में चीटियां निकल रही है तो जानिए शुभ और अशुभ संकेत :
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अगर घर में चींटियां निकल रही हैं तो यह आपके जीवन में होने वाली किसी बात को लेकर संकेत है। घरों में चींटियों का निकलना हम आम बात समझकर उस पर गौर नहीं करते हैं लेकिन यह बहुत बड़ी घटनाओं के बारे में संकेत देती हैं। चींटियां घर में ऊपर की ओर जा रही है या नीचे के ओर जा रही हैं। इसके अलावा आपके घर में आई चींटियों को कुछ खाने को मिल रहा है या नहीं यह भी होने वाली कई घटनाओं पर केंद्रीत होना माना जाता है। लाल चींटी और काली चींटी अलग बातों का संकेत देतीड हैं। अगर आपके घर में काली चीटियां आ रही हैं तो सुख और ऐश्वर्य वाला समय आने के संकेत देती हैं। काली चींटियां सामान्य तौर पर घरों में चलती हुई दिखाई देती हैं। कई बार लोग काली चींटियों को शकर, आटा जैसे खाद्य पदार्थ भोजन के लिए डालते हैं। काली चींटियों को खाना खिलाना शुभ होता है। अगर चावल के भरे बर्तन से चींटियां निकल रही हैं तो यह शुभ संकेत होते हैं। कुछ ही दिनों में आपकी धन वृद्धि होने वाली है। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी होने जा रही है। काली चीटियां आने से भौतिक सुख वाली चीजों के लिए भी शुभ माना जाता है। *लाल चींटियां घर में दिखे तो हो जाएं सा...
फलित ज्योतिष
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नमस्कार दोस्तो फलित ज्योतिष क्रम में आज हम राशि के नाम और उनके स्वामी के बारे में जानेंगे। ज्योतिष शास्त्र में 12 राशियों का वर्णन है। जो निम्नलिखित है। 1. मेष 2. वृष 3. मिथुन 4. कर्क 5. सिंह 6. कन्या 7. तुला 8. वृश्चिक 9. धनु 10. मकर 11. कुंभ 12. मीन प्रत्येक राशि का स्वभाव, प्रभाव, कैसा होता है साथ ही साथ उन राशि के स्वामी एवम् उसके द्वारा क्या क्या तथ्य निर्धारित किए जा सकते है। उनके बारे ने हम अगले भाग में जानेंगे।
What if you are born under number 1
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Number 1 is affected with unique sense that makes it strong in nature. Lord of this number is Sun and that is why they are constructive and more likely to be introvert by nature. They like being independent and possess a unique personality. Sometimes, they get stubborn with their thoughts that cannot be changed Those who accept their ego become good friends and others who cannot become their enemies. These people respect their tradition and culture and are equally patriotic. They are always inclined towards doing something new every time and are dedicated towards their goal. They accomplish the tasks taken by them with full dedication and sincerity. These people work with new ideas and thoughts and try to show their imagination in work also. They don’t like anyone getting involved in the work given to them and work hard to complete it in a perfect way. These people like beautiful and elegant life and are great lovers of beauty and creativity.
फलित ज्योतिष
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नमस्कार दोस्तो आज हम नक्षत्र के बारे में कुछ जानकारी आपके सम्मुख रखेगे। आकाश में उपस्थित तारिकाओं के समूहों द्वारा विभिन्न प्रकार की आकृति बनती है। उन्हें नक्षत्र की संज्ञा प्रदान की गईं है। ज्योतिष विज्ञान में नक्षत्रों की संख्या 27 होती है। आइए हम उनके नाम जानते है। 27 नक्षत्रों का नामकरण इस प्रकार किया गया है - अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मॄगशिरा, आद्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेशा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती। इनके अलावा एक अन्य नक्षत्र और भी माना जाता है। जिसे हम अभिजित के नाम से जानते है। इसका निर्माण उत्तराषाढा की अंतिम १५ घटी और श्रावण के प्रारंभ की ४ घटी से होता है। नक्षत्र का नाम : नक्षत्र का देवता : नक्षत्र के चरण अश्वनी : अश्वनी कुमार : ...